सरहदी बाड़मेर पहुँची गौरवशाली विजय मशाल, भारत माता के जयकारों से गुंजा आसमां

सरहदी बाड़मेर पहुँची गौरवशाली विजय मशाल, भारत माता के जयकारों से गुंजा आसमां

रिपोर्ट @ महिपाल सिंह चारण
बाड़मेर। साल 1971 में भारत पाकिस्तान के युद्ध मे भारत की स्वर्णिम विजय की 50 वी वर्षगाँठ को यादगार बनाने के लिए शुरू की गई विजय मशाल सरहद के अंतिम छोर पर बसे बाड़मेर पहुँची। इस गौरवशाली यात्रा के बाड़मेर पहुँचने पर भारतीय सेना, सीमा सुरक्षा बल , टीम थार के वीर, बाड़मेर प्रशासन, राजस्थान पुलिस, एनसीसी, सीमा जन कल्याण समिति, मरुगूँज संस्थान, लायन्स क्लब और निजी शिक्षण संघ की तरफ से इसका भव्य स्वागत किया गया। बाड़मेर जिला मुख्यालय पर शहीद चौराहे पर जब बोगरा ब्रिगेड के मुख्यालय से विजय मशाल पहुँची तो सैकड़ो की तादात में लोगो ने भारत माता के जयकारों से आसमान गुंजायमान कर दिया। टीम थार के वीर के प्रवक्ता अशोक राजपुरोहित ने बताया कि भारत-पाकिस्तान के बीच हुए वर्ष 1971 के युद्ध में मिली विजय को 50 साल पूरे होने पर स्वर्णिम विजय वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इसको लेकर सेना की ओर से अलग-अलग आयोजन कर खुशियां मनाई जा रही है। विजय वर्ष के उपलक्ष्य में दिल्ली से चारों दिशाओं में विजय मशाल रवाना की गई , जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखाई थी। पश्चिम की ओर भेजी गई विजय मशाल शनिवार को बाड़मेर जिला मुख्यालय पहुंची। इस यात्रा के जरिये युवाओं में देशभक्ति और सेना से जुड़ने का जज्बा और भी मजबूत होता नजर आया। शहीद सर्किल पर आयोजित इस खास कार्यक्रम में बीएसएफ डीआईजी विनीत कुमार, बाड़मेर जिला कलेक्टर लोकबंधु यादव, 13 गार्ड के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल वीरेंद्र कुमार, रावत त्रिभुवन सिंह, कैप्टन हीरसिंह, रघुवीर सिंह तामलोर ने शहीद सर्किल पर पुष्प चक्र अर्पित किए।

सरहदी बाड़मेर पहुँची गौरवशाली विजय मशाल, भारत माता के जयकारों से गुंजा आसमां

बीएसएफ डीआईजी विनीत कुमार के मुताबिक इस तरह के आयोजन युवाओं और देशवासियों में नव ऊर्जा का संचार करते है और यह यात्रा हमे उस गौरवशाली इतिहास को करीब से जानने का मौका देते है जब भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े करके नए देश की नींव रखी थी।सरहदी बाड़मेर का साल 1971 के युद्ध मे अहम भूमिका रही थी। इस युद्ध मे उतरी कमान में लड़े गए बैटल ऑफ बसन्तर की कमान बाड़मेर के वीर जांबाज लेफ्टिनेंट जनरल और महावीर चक्र विजेता हणुत सिंह के हाथों में थी। इस अवसर पर रावत त्रिभुवन सिंह ने विजय मशाल को देश के लिए गौरव का पल बताया। उनके मुताबिक यह मशाल लोगो मे नई ऊर्जा के साथ साथ नया जोश प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि 1971 के युद्ध मे जनरल हनुतसिंह की अहम भूमिका रही। साथ ही उस युद्ध मे बाड़मेर के 10 जाँबाजो ने अपना अतुलनीय बलिदान दिया।यह वह युद्ध था जिसमे आमजन की भी विशेष भूमिका रही। बाड़मेर के शौर्य चक्र विजेता चतरसिंह ढोक और बलवन्तसिंह बाखासर के अहम योगदान को कभी नही भुलाया जा सकता है।कार्यक्रम में मशाल का स्वागत पुष्पवर्षा के साथ किया गया। कर्नल वीरेंद्र कुमार द्वारा कैप्टन हीरसिंह, कैप्टन मोहनसिंह, कैप्टन आदर्श किशोर को मशाल भेट की। इस गौरवांवित पल पर लोगो ने लेफ्टीनेंट जनरल हणुत सिंह, शहीद धर्माराम, शहीद पीराराम, शहीद प्रेम सिंह के जयकारों और भारत माता का वैभव अमर रहे के जयकारों से आसमान गुंजायमान कर दिया।आपको बता दे कि 16 दिसम्बर 2020 राष्ट्रीय युद्ध स्मारक से 4 मशाल देश के अलग अलग इलाको के लिए निकली है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विजय मशाल को रवाना किया था जोकि शनिवार को सरहदी बाड़मेर पहुँची। यहाँ इसके स्वागत कार्यक्रम में कमांडेंट नरेश चतुर्वेदी , कमांडेंट जीएल मीणा , कमांडेंट युवराज दुबे , कमांडेंट एम पी सिंह , द्वितीय कमान अधिकारी पारसमल जीनगर बाड़मेर व्रताधिकारी आनंदसिंह राजपुरोहित  ,रणवीरसिंह भादु , प्रोफेसर एम आर गढ़वीर ,अम्बालाल जोशी , भंवरसिंह अकली , छुगसिंह गिराब, सुनीता पारख, किशन लाल वडेरा , संजय संखलेचा, बालसिंह राठौड़ , प्रेमाराम भादु , रमेश कड़ेला , विक्रमसिंह कोलू , मनोज परमार , प्रवीणसिंह मीठड़ी , जोगाराम सारण , लक्ष्मण टाक , कमल सिंघल सहित सैकड़ो की संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित रहे। आयोजन का संचालन जसवंतसिंह मायला ने किया और आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापन कैप्टन हीरसिंह भाटी ने किया।


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